बी एस-सी - एम एस-सी >> बीएससी सेमेस्टर-1 जन्तु विज्ञान बीएससी सेमेस्टर-1 जन्तु विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएससी सेमेस्टर-1 जन्तु विज्ञान
प्रश्न- समसूत्री कोशिका विभाजन का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए तथा समसूत्री के महत्व पर एक टिप्पणी लिखिए।
अथवा
सूत्री विभाजन का विस्तृत वर्णन कीजिए। यह अर्धसूत्रीय विभाजन से किस प्रकार भिन्न है?
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. समसूत्री कोशिका विभाजन की विभिन्न अवस्थाओं को दर्शाते हुए केवल चित्र बनाइये।
2. निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए-
(i) माइटोसिस (समसूत्री) विभाजन
(ii) मेटाफेज तथा एनाफेज
(iii) टीलोफेज
(iv) माइटोसिस का महत्व |
(v) पूर्वावस्था
उत्तर -
समसूत्री कोशिका विभाजन अथवा कैरियोकाइनेसिस
(Mitosis Cell Division or Karyokinensis)
एक कोशिका से उसी तरह की संतति कोशिकाओं के बनने को कोशिका जनन या विभाजन कहते हैं। समसूत्री कोशिका विभाजन सोमेटिक कोशिकाओं (दैहिक कोशिकाओं) में सम्पन्न होता है अतएव इसे सोमेटोजेनेसिस (somatogenesis) भी कहते हैं। समसूत्री कोशिका विभाजन की लगातार चलने वाली प्रक्रिया चार भागों में विभाजित है- विभाजन से पूर्व कोशिका को विश्रामकालीन कोशिका कहते हैं। दो प्रकार के विभाजन के मध्य के काल को इन्टरफेज (interphase) कहते हैं। विश्राम की अवस्था में कोशिका के अन्दर न्यूक्लिअर आवरण युक्त एक केन्द्रक रहता है। केन्द्रक के अन्दर क्रोमेटिन का जाल होता है। कोशिकाद्रव्य में सेन्ट्रिओल नामक एक कोशिका विभाजन का केन्द्र होता है।
1. पूर्वावस्था (Prophase) : सर्वप्रथम सेन्ट्रिओल दो भागों में विभक्त हो जाता है तत्पश्चात् सेन्ट्रोसोम (centrosome) का विभाजन होता है। इसी समय केन्द्रक में स्थित क्रोमेटिन दिखाई देने लगता है जो एक लम्बे मुलायम घुमावदार के परस्पर ऐंठे हुए धागे की तरह होता है। यह कुछ समय बाद निर्दिष्ट एवं विशिष्ट छोटे बंटे हुए धागों में विभाजित हो जाते हैं। इस प्रावस्था गुणसूत्र आकार में छोटे तथा मोटे हो जाते हैं। कोशिका के ध्रुवों की तरफ सेन्ट्रिओल का विषरीत दिशाओं में पलायन हो जाता है तथा सेन्ट्रोसोम महीन एस्ट्रल किरणें बनाता है जो सेन्ट्रिओल से निकलती हैं। गुणसूत्र स्पष्ट दिखाई देने लगते हैं। प्रत्येक गूणसूत्र दो प्रकार के धागों द्वारा बनता है जिन्हें क्रोमेटिड्स कहते हैं। यह एक-दूसरे के निकट लम्बवत् रूप से सम्बन्धित रहते हैं। गुणसूत्र एक बिन्दु पर परस्पर सम्बन्धित रहते हैं जिसे सेन्ट्रोमियर कहते हैं। गुणसूत्रों का द्विगुणन प्रत्येक गुणसूत्र के एकदम सही प्रतिरूपण द्वारा होता है। स्टेनिंग के उपरान्त क्रोमेटिड्स गहरे तथा हल्के रंग के भागों को प्रदर्शित करते हैं। गहरे रंग के भाग क्रोमोमियर्स हैं जिनमें न्यूक्लियोप्रोटीन के अति सूक्ष्म कणों का समावेशन होता है, जिन्हें जीन्स कहते हैं। जीन्स ही जैविक इकाइयाँ हैं जिनके द्वारा आनुवंशिक गुण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचते हैं। न्यूक्लिओलस सूक्ष्माकार होकर विलुप्त हो जाता है तथा न्यूक्लिअर झिल्ली भी क्रमशः विलुप्त हो जाती है जिसके कारण न्यूक्लिओप्लाज्म निकल आता है तथा केन्द्रक के पूर्व स्थान पर स्पिन्डल का निर्माण करता है। माइटोकॉण्ड्रिया अत्यन्त सक्रिय हो जाता है। एस्टर्स तथा स्पिन्डिल अब स्थानान्तरित होकर कोशिका के मध्य में आ जाते हैं। यह परिवर्तन पूर्वावस्था की अन्तिम अवस्था में होते हैं।
समसूत्री कोशिका की विभिन्न अवस्थाओं का रेखाचित्र
2. मध्यावस्था (Metaphase) : इस प्रावस्था में क्रोमेटिड्स स्पष्ट हो जाते हैं। गुणसूत्र स्पिन्डिल के ध्रुवों की ओर चले जाते हैं। गुणसूत्रों के क्रोमेटिड्स परस्पर स्पिन्डिल रेशों द्वारा सेन्ट्रीमियर से सम्बन्धित हो जाते हैं। यही सूक्ष्मकालीन मध्यावस्था अवस्था समाप्त होती है।
3. पश्चावस्था (Anaphase) : इस प्रावस्था में प्रत्येक गुणसूत्र का सेन्ट्रोमियर दो भागों में विभाजित होकर दो सेन्ट्रोमियर्स का निर्माण करता है। प्रत्येक नवनिर्मित सेन्ट्रोमियर अपने-अपने क्रोमेटिड्स के साथ पृथक् हो जाते हैं। क्रोमेटिड्स विपरीत ध्रुवों की ओर चले जाते हैं तथा 'U' अथवा 'V' आकार में स्पिन्डिल से सम्बद्ध हो जाते हैं।
4. अंत्यावस्था (Telophase) : गुणसूत्रों के क्रोमेडिट्स परस्पर पृथक् होकर स्पिन्डिल के ध्रुवों की ओर स्थानान्तरित होकर सेन्ट्रिओल के निकट समूह बना लेते हैं और नवनिर्मित सेन्ट्रोमियर क्रमशः लुप्त होने लगते हैं तथा घुमाव खुलने लगता है। गुणसूत्रों के प्रत्येक समूह को न्यूक्लिअर झिल्ली का आवरण ढक लेता है तथा दो न्यूक्लिआई निर्मित होते हैं। न्यूक्लिओलस का पुनः निर्माण प्रत्येक केन्द्रक में प्रारम्भ हो जाता है। स्पिन्डिल तथा एस्टर्स विलुप्त हो जाते हैं। सेन्ट्रिओल्स उपस्थित रहते हैं। नवनिर्मित गुणसूत्र धीरे-धीरे लुप्त होकर इन्टरफेज की स्थिति में आ जाते हैं। कोशिकाद्रव्य के विभाजन, कोशिका भित्ति के खाँचे का विस्तार बढ़कर एक से दो कोशिकाओं का निर्माण कर देता है। इस प्रकार साइटोकाइनेसिस की क्रिया सम्पन्न होती है। दोनों छोटी पुत्री कोशिकायें वृद्धि करके पूर्ण विकसित हो जाती हैं। कोशिका विभाजन की सम्पूर्ण क्रिया लगभग 15 मिनटों में पूर्ण हो जाती हैं परन्तु कुछ प्रजातियों की कोशिका विभाजन की क्रिया पूर्ण होने में घन्टों लग जाते हैं। पुत्री (नवनिर्मित्त) गुणसूत्र में प्रत्येक में एक क्रोमेटिड होता है जो अगले कोशिका विभाजन में द्विगुणित हो जाता है। क्रोमेटिड का द्विगुणन इन्टरफेज की अवस्था में होता है। इंन्टरफेज की अवस्था में क्रोमेटिड का द्विगुणन DNA का निर्माण करता है।
समसूत्री विभाजन का महत्व
(Significance of Mitosis)
1. इस क्रिया में एक कोशिका से दो सन्तति कोशिकाओं का निर्माण होता है।
2. सन्तति कोशाओं में गुणसूत्रों की संख्या मातृ कोशा के समान होती है।
3. यह कोशा विभाजन जीवों के वृद्धि भागों में होता है। अतः इसी के फलस्वरूप वृद्धि होती है तथा ऊतकों का निर्माण होता है।
4. सूत्री विभाजन अलैंगिक जनन के लिए आधार प्रदान करता है इस क्रिया में युग्मकों के संयोजन के बिना, एक ही प्राणी से नया प्राणी बनता है।
समसूत्री तथा अर्धसूत्री विभाजन में अन्तर
(Differences between Mitosis and Meiosis Division)
क्र.सं. (SI.No.) |
समसूत्री विभाजन (Mitosis) |
अर्धसूत्री विभाजन (Meiosis) |
1. | यह केवल जननीय (reproductive) कोशिकाओं में होता है। | यह सभी कायिक (somatic) कोशिकाओं में होता है। |
2. | सम्पूर्ण विधि केवल एक अनुक्रम द्वारा पूर्ण होती है। | यह दो अनुक्रमों द्वारा पूर्ण होती है। |
3. | इसमें जनक कोशिकाओं से दो संतति कोशिकाएँ बनती हैं। | इसमें जनक कोशिकाओं से चार संतति कोशिकाएँ बनती हैं। |
4. | संतति कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या समान होती है। | संतति कोशिकाओं में जनक कोशिकाओं की अपेक्षा गुणसूत्रों की संख्या आधी रहती है। |
5. | पूर्वावस्था की अवधि कम होती है। | पूर्वावस्था की अवधि लम्बी होती है |
6. | विनिमय और क्यिाज्मेटा का निर्माण नहीं होता है। |
इसमें गुणसूत्रों का विनियम तथा कियाज्मेटा का निर्माण होता है जिसके अन्तर्गत समजात गुणसूत्रों के अर्धसूत्रों में अदला-बदली होती है। |
7. | पश्चावस्था (anaphase) में गुणसूत्रों के गुणसूत्र बिन्दु विभाजित होते हैं तथा अर्धगुण-सूत्र विपरीत ध्रुवों पर एकत्र होते हैं। इस कारण गुणसूत्रों की संख्या संतति कोशिकाओं और जनकीय कोशिका में बराबर होती है। | प्रथम पश्चावस्था में गुणसूत्रों के गुणसूत्र बिन्दु का विभाजन नहीं होता। परन्तु युग्मन में स्थित समजात गुणसूत्रों में से प्रत्येक विपरीत ध्रुवों पर जाता है। इस प्रकार से आधे गुणसूत्र समूह में विपरीत ध्रुवों पर तथा बाद में संतति कोशिका में पाये जाते हैं। |
8. | गुणसूत्रों का पृथक होना, गुणसूत्र बिन्दुओं का विभाजन तथा उनके बीच प्रतिकर्षण के बराबर होता है। | समजात गुणसूत्रों का युग्मन से पृथक होना मातृक तथा पैतृक गुणसूत्रों के बीच प्रतिकर्षण है। |
9. | अंत्यावस्था के परिणामस्वरूप नवनिर्मित केन्द्रक में गुणसूत्र संख्या जनकीय कोशिका के समान होती है। | प्रथम अन्त्यावस्था के पश्चात् नवनिर्मित केन्द्रक में गुणसूत्रों की संख्या, जनकीय कोशिका की तुलना में आधी होती है। |
10. | दूसरे समसूत्री विभाजन का अभाव होता है। | द्वितीय अर्धसूत्री विभाजन और सूत्री विभाजन लगभग एक समान होते हैं। |
11. | विभाजन के फलस्वरूप दो संतति कोशिकाएँ बनती हैं। | विभाजन के फलस्वरूप चार संतति कोशिकाएँ बनती हैं। |
12. | जनकीय कोशिका तथा संतति कोशिका में गुणसूत्रों की संख्या तथा रसायनिक संघटन में कोई अन्तर नहीं होता है। | संतति कोशिका में जनकीय कोशिका की तुलना में गुणसूत्रों की संख्या आधी रहती है। |
13. | कोशिकाद्रव्य विभाजन, प्रत्येक सूत्री विभाजन के अन्त में आवश्यक है। | कोशिकाद्रव्य का विभाजन, अर्धसूत्री विभाजन के अन्त्यावस्था प्रथम में होना आवश्यक नहीं है। |
14. | गुणसूत्र केवल एक बार विभाजित होते हैं। | गुणसूत्र एक बार तथा केन्द्रक दो बार विभाजित होते हैं। |
15. | यह आद्य प्रकार का होता है। | यह उन्नत प्रकार का होता है। |
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- प्रश्न- कोशा कला की सूक्ष्म संरचना जानने के लिए सिंगर और निकोल्सन की तरल मोजैक विचारधारा का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए - (i) माइक्रोट्यूब्ल्स (ii) माइक्रोफिलामेन्टस (iii) इन्टरमीडिएट फिलामेन्ट
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- प्रश्न- न्यूक्लिओसोम का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- पूरक जीन क्रिया को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- गुणसूत्र पर पाये जाने वाले विभिन्न अभिरंजन और पट्टिका प्रतिमानों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हेट्रोक्रोमेटिन और उसके लक्षण पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- क्रासिंग ओवर उद्विकास की प्रक्रिया है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- लिंकेज ग्रुप पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सामान्य मानव कैरियोटाइप का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गुणसूत्रीय विपथन पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- असुगुणिता किसे कहते हैं? विभिन्न प्रकार की असुगुणिताओं का वर्णन कीजिए तथा इनकी उत्पत्ति के स्रोत बताइए।
- प्रश्न- लिंग सहलग्न वंशागति से आप क्या समझते हैं? मनुष्य या ड्रोसोफिला के सन्दर्भ में इस परिघटना का उदाहरणों सहित विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- क्लाइनफिल्टर सिंड्रोम कार्यिकी अथवा गुणसूत्र के असामान्य स्थिति का परिणाम है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मंगोलिज्म या डाउन सिन्ड्रोम क्या है?
- प्रश्न- टर्नर सिन्ड्रोम उत्पन्न होने के कारण एवं उनके लक्षण लिखिए।
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- प्रश्न- अनुप्रस्थ विस्थापन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पोजीशन एफेक्ट क्या है? उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- मानव वंशागति के अध्ययन में क्या मुख्य कठिनाइयाँ हैं?
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- प्रश्न- लिंग सहलग्न वंशागति के प्रारूप का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अफ्रीकी निद्रा रोगजनक परजीवी की संरचना एवं जीवन चक्र का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वुचरेरिया बैन्क्रोफ्टाई के वितरण, स्वभाव, आवास तथा जीवन चक्र का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जिआर्डिया पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
- प्रश्न- एण्टअमीबा हिस्टोलायटिका की संरचना, जीवन-चक्र, रोगजन्यता एवं नियंत्रण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अफ्रीकी निद्रा रोग क्या है? यह कैसे होता है? इसके संचरण एवं रोगजनन को समझाइए। इस रोग के नियंत्रण के उपाय बताइए।
- प्रश्न- फाइलेरिया क्या है? इसके रोगजनकता एवं लक्षणों तथा निदान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जिआर्डिया के प्रजनन एवं संक्रमित रोगों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जिआर्डिया में प्रजनन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- जिआर्डिया पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।